आसन और व्यायाम :आसन एक वैज्ञानिक पद्धति है। ये हमारे शरीर को स्वच्छ, शुद्ध व सक्रिय रखकर मनुष्य को शारीरिक व मानसिक रूप से सदा स्वस्थ बनाए रखते हैं। केवल आसन ही एक ऐसा व्यायाम है जो हमारे अंदर के शरीर पर प्रभाव डाल सकता है।

बॉडी की एक्स्ट्रा एनजी एनर्जी को डिस्ट्रॉय करना है तो ही अन्य व्यायामों के चक्कर में पड़े। बाद में ऐसा शरीर तेजी से ढलने लगता है। जबकि योगासन में व्यक्ति सदा जवान बना रहता हैं और उसने न तो घुटने की सर्जनी करना होती है और न ही कंधे की। योगदुनिया के हर तरह के व्यायाम या कसरत से कहीं ज्यादा फायदेमंद और बेहतरीन है।
आसन के प्रकार : आसन अनेक प्रकार के माने गए हैं। 'आसनानि समस्तानियावन्तों जीवजन्तव:। चतुरशीत लक्षणिशिवेनाभिहितानी च।'- अर्थात संसार के समस्त जीव जन्तुओं के बराबर ही आसनों की संख्या बताई गई है। इस प्रकार 84000 आसनों में से मुख्य 84 आसन ही माने गए हैं। उनमें भी मुख्य आसनों का योगाचार्यों ने वर्णन अपने-अपने तरीके से किया है।
मुख्यत: आसनों को चार भागों में विभाजित किया गया है। 1.बैठकर किए जाने वाले आसन। 2.पीठ के बाल लेटकर किए जाने वाले आसन। 3.पेट के बाल लेटकर
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